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भूत-प्रेत की कहानियाँ
अगर भगवान का अस्तित्व है तो भूत-प्रेतों का क्यों नहीं
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मेरी यात्रा की कहानियाँ
मेरे ऑफिस से घर और घर से ऑफिस जाने की यात्रा की कहानियाँ और दैनिक जीवन के कुछ लम्हों के साथ दिल से निकलने वाले कुछ अनछुए पहलू जिन्हें लिख कर मुझे अच्छा लगता है. मुझे आशा है कि आपको पढ़ कर भी अच्छा लगेगा.
‘बाल संसार’ को
अपनी लिपि में पढ़ें
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सरोकार के वे अनंत जो जीवन को लगातार जीने लायक बनाए रखते हैं
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कहानियो के मन से .....
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इदम् राष्ट्राय || इदम् न मम् ||
"गत हमारी आयु हो निज रास्ट्र के उपकार में
", "भूल कर भी हाँथ न डाले हम कभी अपकार में "
जननी जन्म भूमश्च स्वर्गादपि गरीयसी {प्रवीण}
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ज्ञानसिंधु
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मेरे हिस्से की धूप
५४ साल लम्बी यादें........उतार चढ़ावों से भरीं, जिसमें बहुत कुछ बीता..... कुछ फाँस सा असहनीय पीड़ा दे गया .... कुछ अनायास ही खिल आनेवाली मुस्कराहट का सबब बन गया.... कुछ एक कविता बन मुखरित हो गया... कुछ , बस यूहीं धूप में छाँव सा ठंडक पहुंचा गया ...... और यादों का यह काफिला , पृष्ट दर पृष्ट पूरा जीवन बन गया जिसमें गाहे बगाहे, कुछ सुरीले, सुखद क्षण, .....मेरे हिस्से की धूप बन गए.....
very very nice post
ReplyDeleteसरकारी जॉब और शायरी साइट है
great post
ReplyDeletehttps://lingerdigital.com/how-to-motivate-yourself/